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Thursday, August 14, 2025

 ज़िंदगी हमेशा शोरगुल और चकाचौंध से भरी नहीं होती।

कभी-कभी, इसकी असली खूबसूरती उन चुप पलों में छुपी होती है —
खिड़की पर गिरती बारिश की बूंदों में,
माँ की रसोई से आती खुशबू में,
या अपने बच्चे की छोटी-सी उँगली थामे हुए महसूस होने वाली गर्माहट में।

हम सपनों, काम और उम्मीदों की दौड़ में इतने तेज़ भागते हैं
कि रुककर साँस लेना ही भूल जाते हैं।

सच तो यह है, आपको हर सैलरी याद नहीं रहेगी,
हर मीटिंग या हर बिल याद नहीं रहेगा।
लेकिन आपको याद रहेगा जब दोस्त ने एक बुरी रात में आपका साथ दिया था।
आपको याद रहेगा पापा का पुराना स्वेटर,
दादी की बनाई चाय की खुशबू और उसका स्वाद।

तो, ज़रा धीमे चलिए।
आसपास देखिए।
वो बातें कह दीजिए जो दिल में दबाकर रखी हैं।
थोड़ा और कसकर गले लगाइए।
थोड़ा जल्दी माफ कर दीजिए।

क्योंकि ज़िंदगी नाज़ुक है,
और हर पल एक तोहफ़ा है—
जिसे दो बार खोला नहीं जा सकता। 💙

अस्तित्व, प्राथमिकता और समय का द्वंद्व काल का प्रवाह एक सार्वभौमिक सत्य है, एक निरपेक्ष नदी जिसमें सभी अस्तित्व समान रूप से बहते हैं। चौबीस घंटे का चक्र किसी व्यक्ति, विचार या भावना के लिए नहीं रुकता। यह वह अपरिवर्तनीय पृष्ठभूमि है जिस पर जीवन का नाटक खेला जाता है। इस नियति में, हम सभी अपने-अपने कर्मों और दायित्वों की शृंखला से बंधे हैं। फिर भी, चेतना की एक विलक्षण क्षमता है - यह इस नियत समय में से कुछ अंश निकालकर उसे किसी और के अस्तित्व को समर्पित कर सकती है। जब हम आपके लिए समय निकालते हैं, तो यह केवल घड़ी की सुइयों का समायोजन नहीं है; यह हमारी चेतना का एक स्वैच्छिक समर्पण है। यह इस बात की स्वीकृति है कि आपकी स्मृति हमारे अस्तित्व के ताने-बाने का एक अनिवार्य हिस्सा है, एक ऐसा स्पंदन जो हमारे होने को अर्थ देता है। किंतु, जब समय के उसी सार्वभौमिक प्रवाह में कोई यह कहता है कि उसके पास 'समय का अभाव' है, तो यह एक गहरा दार्शनिक प्रश्न खड़ा करता है। समय का अभाव वस्तुतः समय का अभाव नहीं, बल्कि प्राथमिकताओं का अभाव है। यह इस बात की मौन घोषणा है कि चेतना के उस सीमित आकाश में, हमारे अस्तित्व को कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं दिया गया है। तो प्रश्न यह नहीं है कि आपकी व्यस्तताएँ अधिक हैं या हमारी। प्रश्न यह है कि अस्तित्व के पदानुक्रम में हमारी भावनाओं का मूल्य क्या है? क्या वे एक क्षणिक विचार हैं, जिन्हें व्यस्तता की आँधी आसानी से उड़ा ले जाती है? या वे एक स्थायी उपस्थिति हैं, जिसके लिए समय स्वयं को झुका सकता है? अतः यह केवल कुछ क्षणों का अनुरोध नहीं है। यह एक आग्रह है कि आप हमें अपने अस्तित्व के समीकरण में एक सार्थक 'चर' के रूप में स्वीकार करें, न कि एक नगण्य 'अंक' के रूप में। यह अपनी चेतना के द्वार खोलने का निमंत्रण है, ताकि दो अस्तित्व केवल समय के समानांतर न बहें, बल्कि एक-दूसरे से मिलकर एक साझा क्षण का निर्माण कर सकें। क्योंकि अंततः, किसी के लिए समय निकालना केवल एक क्रिया नहीं, बल्कि यह प्रमाणित करना है कि वह व्यक्ति आपके लिए 'अस्तित्व' रखता है।
एक अजीब सी वहशत थी, एक अनकहा जुनून। मैं तुम्हें ढूँढ रहा था। कहाँ? हर उस जगह, जहाँ तुम्हारा होना मुमकिन था। मैं ज़माने के बाज़ारों में भटका, महफ़िलों की रौनक में तुम्हें तलाशा, वीरानियों और तन्हाइयों से तुम्हारा पता पूछा। मेरी दीवानगी का आलम ये था कि हवा के हर झोंके से तुम्हारा नाम सुनता, बारिश की हर बूँद में तुम्हारा अक्स देखता और फूलों की हर महक में तुम्हारी मौजूदगी महसूस करने की कोशिश करता। मैं दर-ब-दर भटकता रहा, एक ऐसे मुसाफ़िर की तरह जिसे मंज़िल का तो पता है, पर रास्ते की ख़बर नहीं। मैंने लोगों की आँखों में झाँका, इस उम्मीद में कि शायद तुम्हारी कोई परछाईं वहाँ क़ैद मिले। मैंने किताबों के हर्फ़ों को टटोला, सोचा शायद शायरों ने तुम्हें अपने लफ़्ज़ों में छुपा रखा हो। पर हर चेहरा बेगाना लगा, हर महफ़िल ख़ाली और हर लफ़्ज़ बेमानी। दुनिया एक विशाल आईना थी, जिसमें सब दिखते थे, सिवाय तुम्हारे। थक हार कर, जब मेरे क़दमों ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया और मेरी उम्मीद का दीया टिमटिमाने लगा, मैं बैठ गया। दुनिया से नज़रें हटाकर, पहली बार मैंने आँखें बंद कीं। एक ख़ामोशी थी, एक गहरा सन्नाटा। बाहर का शोर थम चुका था। और उसी गहरे सन्नाटे में, मैंने एक दस्तक सुनी। ये दस्तक बाहर से नहीं, मेरे अंदर से आ रही थी। मैंने डरते-डरते, काँपते हुए हाथों से अपने ही दिल के दरवाज़े को खोला... और झाँक कर देखा। और तुम... तुम तो वहाँ थे! वही सुकून, वही रौशनी, वही मुस्कान जिसे मैं पूरी कायनात में ढूँढ रहा था, वो तो मेरे ही वजूद के केंद्र में विराजमान थी। तुम मेरे दिल में महज़ एक मेहमान की तरह नहीं ठहरे थे, तुम तो उस दिल की धड़कन थे। तुम वो साँस थे जिसके बिना मेरा वजूद अधूरा था। तुम वो नूर थे जिसने मेरी रूह को रौशन कर रखा था और मैं पागल, उस नूर को बाहर के चराग़ों में ढूँढ रहा था। ये क्या भूल थी! मैं पानी की तलाश में रेगिस्तान छानता रहा, जबकि अमृत का झरना मेरे भीतर ही बह रहा था। मैं जिसे ख़ुदा समझकर मंदिरों और मस्जिदों में खोजता रहा, वो मेरी ही आत्मा की गहराई में बैठा मुस्कुरा रहा था। अब समझ आया कि ये तलाश बाहर की नहीं, ख़ुद से ख़ुद तक के सफ़र की थी। तुम मुझसे जुदा कभी थे ही नहीं, बस मैं ही इस हक़ीक़त से अनजान था। और अब मैं कह सकता हूँ: उम्र भर भटकता रहा तेरी तलाश में दर-ब-दर, जब नज़र ख़ुद पर पड़ी, तो तुम मिले मेरे ही घर। क्या अजब सा खेल था, ये कैसा फ़साना था, जिसे बाहर ढूँढता था, वो तो दिल का ही ख़ज़ाना था।
सुनो, जब कभी तुम्हें लगे कि ज़िंदगी का कैनवास बेरंग हो रहा है और उम्मीदों के नाज़ुक धागे एक-एक कर उधड़ रहे हैं, तो हिचकिचाना मत। जब हालात की कैंची तुम्हारे सपनों के लिबास को बेरहमी से कतर दे और नाकामियों की सिलवटें तुम्हारी मुस्कान पर शिकन बनकर उभर आएं, तो बस मेरी दहलीज़ पर बेझिझक दस्तक दे देना। ये मत सोचना कि अपनी टूटन को दुनिया के सामने कैसे लाओगे। ये मत घबराना कि बिखरे हुए टुकड़ों को समेटने की हिम्मत कहाँ से जुटाओगे। तुम बस चले आना, जैसे एक थका हुआ मुसाफ़िर छाँव की तलाश में चला आता है, जैसे एक भूला हुआ रास्ता घर की ओर लौट आता है। क्योंकि हम हौसलों के दर्जी हैं। हमारी दुकान कोई आलीशान इमारत नहीं, बस दिल का एक छोटा सा कोना है। यहाँ हम नाप नहीं लेते, हम एहसास को महसूस करते हैं। हम तुम्हारी ख़ामोशी को सुनते हैं, तुम्हारी नम आँखों के पीछे छिपे तूफ़ान को पढ़ते हैं, और तुम्हारी काँपती हुई आवाज़ की हर अनकही कहानी को समझते हैं। मेरे पास सब्र के धागे हैं, जो वक़्त के हर ज़ख्म को धीरे-धीरे भर देते हैं। मेरे पास यकीन की सुई है, जो तुम्हारे आत्मविश्वास के फटे हुए दामन में नए सिरे से आस्था का टाँका लगाती है। और मेरे पास स्नेह की ऊष्मा है, जो हर सिलवट को मिटाकर तुम्हारे वजूद को फिर से पहले जैसा सुकून देती है। और हाँ, हम ये सब मुफ़्त में करते हैं। क्योंकि हौसले बेचे या खरीदे नहीं जाते; वे तो बाँटे जाते हैं। रूह की मरम्मत का कोई मोल नहीं होता; यह तो बस एक रूह का दूसरी रूह को दिया गया मरहम है। मेरा मेहनताना? तुम्हारी आँखों में लौटती हुई वही पुरानी चमक, तुम्हारे लबों पर वापस आई हुई सच्ची मुस्कान, और तुम्हारा फिर से सिर उठाकर ज़िंदगी की तरफ़ देखने का अंदाज़। जब मैं तुम्हारे भरोसे को रफ़ू करता हूँ, तो कहीं न कहीं मेरे अपने अस्तित्व के भी कुछ सूराख़ भर जाते हैं। तुम्हें जोड़ते-जोड़ते, मैं खुद भी पूरा हो जाता हूँ। तो याद रखना, जब भी उम्मीदें उधड़ें... दरवाज़ा खुला है। चले आना, हम हौसलों को रफ़ू करके उन्हें पहले से ज़्यादा मज़बूत बना देते हैं।

Saturday, July 9, 2022

आज हमारे प्यारे भांजे श्री जितेंद्र चौबे (पिंकू) जी को उनके पावन अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.. मंगलकामनाएँ बधाईयाँ  ..!!

🎂🎂🎂
स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरायुरस्तु॥ 
विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥ 
ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ 
वन्शः सदैव भवता हि सुदीप्तोस्तु ॥

जन्मदिन की अनंतकोटि शुभकामनाएं आप सदैव आनंद से, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें | विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें | ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे, तेजस्वी रहे, आपके जन्मदिन पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं.........  

बस ह्रदय से यही कामना हैं माँ जगतजननी आपके ऊपर आशीर्वाद सदैव बनाये रखे !
जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...
आने वाला प्रत्येक नया दिन,आपके जीवन में अनेकोनेक सफलताएँ एवं अपार खुशियाँ लेकर आए..!!
इस अवसर पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह, आपके  जीवन में यश वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, आदर्श, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ आजीवन आपको जीवन पथ पर गतिमान रखे................

जन्म दिवस की बहुत-बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

मृत्युलोकाधिपती राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर से आपके स्वस्थ, दीर्घाईयू और यशस्वी जीवन की कामना करता हूँ। 

श्री ईष्ट देवता की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।।

Wednesday, June 29, 2022

अंदाज़-ए-सितम उनका निहायत ही अलग है,
गुज़री है जो दिल पर वो क़यामत ही अलग है।

Monday, March 7, 2022

मैं नारी हूूूं, मैं माता हूूूं,
मैं पन्नाधाय की गाथा हूूूं।
जिससे है संपूर्ण जगत,
मैं ऐसी जननी विधाता हूूूं।।

मैं बेटी हूूूं,मैं माता हूूूं,
मैं बलिदानों की गाथा हूूूं।
मैं लक्ष्मी हूूूं,मैं सीता हूूूं,
मैं श्रीमद्भागवत गीता हूूूं।।

राह अकेली चलने में,
दिल मेरा घबराता है।
कहाँ?गया वह गिरधारी,
जो लाज बचाने आता है।।

इस दुनिया ने मुझसे कैसा,
अपना स्वार्थ लगाया है।
कभी आग में कूदा दिया,
कभी जुएं का खेल बनाया है।।

न तुम केवल अस्तित्व हो,
सम्पूर्ण जगत के नभ तल में।
मैं ऋणी हो गया पहले ही,
जब जन्म दिया इस भू-तल में।।

नारी एक कोमल काया है,
जो मानवता की छाया है।
मत करो मलिन इस पवित्र रुप को,
जिसने संसार दिखाया है।।

तू शक्ति बनी,तू भक्ति बनी,
तू दुर्गा बनी,तू काली बानी।
छाया अंधेरा जब जग में,
तू सूर्योदय की लाली बनी।।

गीत हूूूं मैं,संगीत हूूूं मैं,
माँ की ममता की प्रीत हूूूं मैं,
जिसने जग को सुरीला बना दिया,
ऐसी आलोक का गीत हूूूं मैं।।

(संकलित)

सभी मातृशक्ति को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

Saturday, October 16, 2021

तमाम  जुबानें  बेजुबान सी  लगती  हैं ,
जब आँखों से इश्क समझाया जाता है।।

रिलेशनशिप क्या है?
रिलेशनशिप का मतलब एक bf या gf वाला रिलेशनशिप ही नही होता.... 
एक ऐसा रिलेशन जिसमे दो लोग सिर्फ भावनाओं से एक दूसरे से जुड़े रहते हैं.. 
इक ऐसा रिश्ता जिस पर कोई सामाजिक मोहर या नाम नही होता. 
मगर समाज के हर दिखावटी रिश्ते से बढ़कर फर्ज निभाया जाता है... 
एक ऐसा बंधन जिसमे आप एक दूसरे से जुड़े भी रहते है और आपकी आज़ादी पर भी किसी तरह की कोई पाबंदी नही रहती.. 
वो एहसास जो आपको कभी तन्हा नही रहने देता
ज़रूरी नही की कोई आपके साथ चल रहा है तभी साथ है,
ज़रूरी तो ये है की किसी की मौजूदगी आपको कभी अकेला महसूस ना होने दे.. 
आपकी हँसी में जिसकी खुशी शामिल हो,आपके दर्द में नमी उसकी पलकों पर ठहर जाये
एक ऐसा रिलेशन जिसमे वादे नही होते,कसमें नही खायी जाती
बस एक एहसास जो दो लोगो को आपस में जोड़े रखता है
रिलेशन शिप का अंत ज़रूरी नही की शादी हो या हमेशा के लिए बिछड़ जाना.... 
उम्र भर निभाया जाने वाला एक अहसास एक भरोसा कि चाहे मेरे साथ कोई हो ना हो वो हमेशा होगा

एक विश्वास जो आपको कभी कमज़ोर नही पड़ने देता!!💞
तुमने तो बता दिया के तुम्हे क्या क्या पसंद है पर कभी मुझसे पूछा कि मुझे क्या पसंद है, 
तुम्हे शिकायत रहती होगी के मैं अपनी दिल की बातें तुमसे कभी नही बोलता, 
चलो आज लिख के बयां करता हूँ सब , क्योंकि बोल तो आज भी न पाऊंगा, 
हर राह पे हर मोड़ पे तुम्हे तुम्हारे साथ दिखाई दूंगा, मैं ये नही कहूंगा कि तुम्हे रुलाऊंगा नही..। 
रुलाऊंगा क्यों के उसके बाद मैं हंसाउंगा भी न..। 
ये भी नही कहूंगा के हमेशा तुम्हारा हाथ पकड़ के चलूंगा, पर तुम्हे कभी महसूस ही न होने दूंगा के मैंने तुम्हारा हाथ छोड़ा भी है कभी..।
अगर तुम मुझसे दूर भी हो गयी तो ये मत समझना मैं भी तुमसे दूर हो गया हूँ..। 
वादा किया है हर हाल हर मोड़ ,हर खुशी हर गम में तुम मुझे अपनी ही बगल में खड़ा पाओगी एक साये की तरह..। 
तुम्हे सबने बोला होगा कि तुम्हारी स्माइल बहुत अच्छी है , पर क्या किसी ने ये बोला कि तुम रोते हुए , और माऊ बनते हुए बहुत क्यूट लगती हो। 
जब आंसू तुम्हारे गालों में ढल आते है, और तुम अपनी लाल आंखें लिए बहती नाक पोंछती हो न, बस ऐसा लगता है मुझे जीवन मे किसी और बच्चे की ख्वाहिश नही...। 
सबने बोला होगा खूबसूरत दिखती हो, पर शायद अभी तक किसी ने तुम्हे सोते नही देखा होगा...। 
बंद आंखे और चेहरे पे आते हुए बाल ,मुस्कुराते हुए होंठ , कभी संभव हुआ तो खुद को देखना सोते हुए, मेरी तरह तुम्हे भी प्यार हो जाएगा खुद से..। 
बस ऐसा लगता है यही समां चलता रहे हमेशा हमेशा हमेशा के लिए..

Sunday, October 10, 2021

बड़ी अजीब है ये Whatsapp & Facebook कि दुनिया...
अपने से लगते है सब,
पर #अपना नही कोई...!!😔

सब कहते है #समझते है,
तुम्हारे #दर्द को 
पर समझता नही कोई...!!😕

भेजते है सुबह शाम,
मिस यू #take care के मैसेज,
2 दिन #offline रहो तो ,
याद करता नही कोई..!!😒

देख के परेशानी में ,
#Get_well_soon भेजते है,
#कॉल तक करता नही कोई...!

#ब्लॉक कर देते है लोग आज कल,
#बचपन की तरह कट्टी करता नही कोई..😓

नही दोगे #रिप्लाई तो मर जाएंगे,
 बोलते है सब, "
पर #हकीकत में मरता नही कोई..

#Online स्टेटस ब्लू टिक✅ तक छुपाते है लोग,"
अब तो भरोसा तक करता नही कोई...!

#प्यार में शक की शिकायत बढ़ गयी,
थे online हमारे लिए या दूसरे के लिए ,
#कहावत बन गयी..
ये समझता नही कोई...."

सच मे अजीब है ये Whatsapp & Facebook दुनिया..."
अपने से है सब,
पर अपना लगता नही कोई.....  🤔🤔😔😔

Saturday, September 18, 2021

होते होते प्यार हो जाता है....
और ये प्यार ऐसा होता है कि हम इस के लिए कुछ भी कर सकते है, उसकी बातों से, आदतों से, सब से प्यार हो जाता है, वो हमारे जैसे हो या ना हो हम उसके जैसा जरूर हो जाते है. कुछ भी कह देते है.दायरे, मर्यादाएं, बंधन सब तोड़ देते है इसके लिए वो भी कहते है जो हम खुद आईने के सामने खड़े होकर भी नही बोल पाते.इतनी हिम्मत आ जाती है प्यार में.प्यार पागलपन वाला होना चाहिए..जो बस हो निस्वार्थ सा, ऐसा प्यार लम्बा चलता है...समझदारी वाला प्यार कुछ वक्त में ही खत्म हो जाता है...नाप तोल करने लगता है समझदारी वाला प्यार....या बंध जाता है वो खुद में ही सिमट कर दुनिया के डर से.....अगर कभी जिंदगी में प्यार करना तो पागलपन वाला करना ताकि सामने वाला अगर तुम्हें खो दे तो तुमसे ज्यादा तड़पे और रोये कि उसने क्या खोया है......

Thursday, September 16, 2021

हर किसी के अंदर एक छुपी हुई दुनिया होती है... वो दुनिया जिसे हम सपनों की दुनिया कहते हैं।हर कोई चाहता है उस दुनिया को किसी ऐसे के साथ जीना जो उसके लिए इस भाग दौर वाली दुनिया में ख़ास हों...जिसकी आवाज़ सुबह में सुनने से ऐसा लगे की आज का दिन अच्छा होगा और जब तक रात को बात ना हो तब तक पूरे दिन की थकान ही ना कम होने का नाम लें...और एक ऐसा इंसान हर किसी के जीवन में होता हैं।
मेरी भी एक छोटी सी सपनों की दुनिया हैं...और वो पल बस मैं तुम्हारे साथ जीना चाहता हूँ। कही दूर जा कर जीना चाहता हुँ तुम्हारे साथ।
जहाँ हम खुल कर साँस ले सके और कोई डर भी ना हो किसी के देखने का...जहाँ हम घंटो खुलीं आसमान के नीचे एक दूसरे के हाथो में हाथ रख कर घूम सके...जहाँ तुम्हारी नदानियाँ हम से शुरू और हम से ही ख़त्म हों। जहाँ ना कुछ पाना और ना कुछ खोना हों...क्यूँकि तुमको पाने के अलवा और कुछ चाहिए भी तो नहीं ना।
वहाँ एक छोटा सा घर हो और उस घर की ज़मीन पर ही हमारा बिस्तर हों। एक छोटी तालाब हों।वहाँ एक फूलों कीं बग़ीचा हों जिसकी सुगंध हमारे प्यार को और भी ख़ूबसूरत बना दें।और उस घर में एक लकड़ी वाला चूल्हा हो जिस पर हम दोनो मिल कर खाना बनाए। जब खाना बनाते वक़्त तुम्हारे बाल आँखों के सामने आ जाए तो मैं उसे ठीक करूँ...
जहाँ तुम खुली आसमान के नीचे सो कर चाँद और तारे को घंटो देख सको और मैं अपने चाँद को जो उस चाँद से भी ख़ूबसूरत लगती है।

बस इतना ही सपना है मेरा की जब बुढ़ापा में पलट कर जवानी को देखे तो कोई फ़र्क़ ना दिखे तब भी हमारे प्यार में...वो तब भी उतनी ही ख़ूबसूरत हों और हम दोनो एक दूसरे के आँखों में देख कर मुस्कुराए और फिर एक दूसरे को अपनी बाँहों में समेट लें।।❤️❤️