Sunday, March 7, 2021

नारी_दिवस

नारी जीवन अदम साहस 
व संघर्ष की निशानी है,
यही मीरा, यही राधा, 
यही बनी रानी लक्ष्मीबाई है..।।
यही माँ-बेटी-बहन-बहू ,
हर रिश्ता बखुबी निभाती है
इसमें ही दूर्गा, इसमें ही लक्ष्मी, 
इसमें ही माँ काली है..।।
प्रेमभक्ति को इस जगत में, 
यही मीरा बन फैलाती है,
प्रियतम के वियोग में यही 
राधा बन साथ निभाती है..।।
छली-कपटी-दुष्ट नज़र गर 
इसके किले में पड़ जाती है,
यही नारी रानी लक्ष्मीबाई सी
बन रणभूमि में आती है..।।
माँ बन यही हमें अपने 
ममता के आँचल में पालती है,
बेटी बनकर यही हमें 
प्रेम की परिभाषा सिखलाती है.।।
बनकर बहन यहीं हमें 
भाई  के प्रेमड़ोर में बाधंती है,
बहू बन यही हमें कुलदीपक 
देकर वंश आगे बढ़ाती है..।।
जगतजननी बन यही तो 
इस दूर्ग की दूर्गा कहलाती है,
भरण-पोषण करने को हमारा 
यही लक्ष्मी बन जाती है..।।
अपमान होता है इसके परिवार का तो 
यही माँ काली बन जाती है,
अनेकों रूप है धरा में इसके 
यही माँ अन्नपूर्णा, 
यही वैदेही कहलाती है..।।
नारी का तुम सम्मान करो,
मत इसका अपमान करो,
नारी से ही हम हैं, 
नारी है हमसे नहीं, 
इसे नित प्रणाम करो..।।
नारीशक्ति ही है जगत आधार, 
नारी से ही ये संसार,
पूजनीय्-वंदनीय है ये 
करो ना तुम इसका तिरष्कार..।।
नारी दिवस के इस अवसर पर, 
आओ करें ये विचार,
करूणामयी, ममतामयी, देवीस्वरूपा 
नारी के लिए हम सबका 
निश्छल-निष्कपट, 
मान-सम्मान भरा हो आदर-सत्कार..।। 

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