Tuesday, November 24, 2020

मां तेरी बहुत याद आती है ........

अक्सर जिंदगी की मुश्किलें डराती हैं मुझको
हर एक नई सुबह नए सपने दिखाती है मुझको
रोज नई कशमकश में,निकलता हूं घर से बरबस
जिंदगी की राहों में बेखौफ दौड़ता हूं बेशक
जब रात को थक हार के नींद मुझको बुलाती है
तब मां तेरी बहुत याद आती है ........

जब राहें हो मुश्किल हर तरफ हो अंधेरा
खुशियों के आंगन में हो जाए गमों का बसेरा
कारवां किस्मत का बीच राहों में खोने लगे
मंजिलों की पगडंडी आंखों से ओझल होने लगे
जब मंजिले मुझसे दूरी बनाती है मुझको चिढ़ाती है
तब मां तेरी बहुत याद आती है .........

आज बंदिशें से नहीं हैं दिल जो चाहे मैं वो करता हूं
मैं खुद ही गिरता हूं और मैं खुद ही संभलता हूं
मेरे ख्वाबों की उलझी है झालर मैं इसको हर रोज बुनता हूं
समझ ना आए क्या है सही क्या है गलत,मैं फिर भी चुनता हूं
जब मेरी नासमझी मुझ पर ही मुस्कुराती है
तब मां तेरी बहुत याद आती है ........

0 comments:

Post a Comment