सारा सच तो मरघटों ने कह दिया
राख़ है तू, लकड़ियों ने कह दिया
मत उलझ तू बन्दिशों में ख़्वामखाँ
जाल है सब, मकड़ियों ने कह दिया
डूब जायेगी समन्दर में कभी
कश्ती की इन हरक़तों ने कह दिया
आसमाँ है कैंचियों का यार अब
बाज़ के कटते परों ने कह दिया
घूमते हैं नौंचने को भेड़िये
सहमी सहमी तितलियों ने कह दिया
जान पे हक़ सरहदों का ही है माँ
ख़ून में तर वर्दियों ने कह दिया
आग में यूँ जल न तू, जी ज़िन्दगी
इश्क़ कर ले, नफ़रतों ने कह दिया
भस्म कर दे ये ग़रूर अपना अभी
सब वहम है, परकटों ने कह दिया
याद बैठी है सनम की साथ में
नींद तू जा, करवटों ने कह दिया
ये जला देगा तुझे जन्नत दे कर
इश्क़ है लौ, आशिकों ने कह दिया
जा के तू भी पंछियों का नीड़ बन
उड़ जा तू अब, बरगदों ने कह दिया
हाल ये है ज़िन्दगी का दोस्तो
ज़हर पी ले, शरबतों ने कह दिया
है फ़रेब उसने किया, तो करने दे
तू वफ़ा कर, धड़कनों ने कह दिया
भीड़ के माहौल से,तू बच के चल
चाँद घर रह, महफ़िलों ने कह दिया।
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