आंखों में मेरी नमी तो है, हाँ यह सच है तेरी कमी तो है...
टूटा तो नहीं मैं तेरे जाने के बाद, हाँ पर इस दिल में बर्फ जमी तो है...
उन रास्तों को अब मै देखता नहीं, हाँ पर नज़रें मेरी वहीं थमी तो है...
मै कांटों की बात तो नहीं करता, हाँ पर गुलाबों से अपनी ठनी तो है...
उजालों से मुझे डर तो नहीं लगता, हाँ पर अंधेरों से अपनी बनी तो है...
दूसरी महोब्बत पर मुझे यकीन तो नही...
हाँ मगर नज़रें किसी से मिली तो है...
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