मेरी खामोशी से उसे फर्क पडता नही....
मैं रो दूँ तो भी उसका दिल पिघलता नही ।
जरूरी कभी हुआ ही नही उसके लिये इतना....
मेरी खातिर वो मुझसे कभी लडती नही ।
घंटो घंटो करता हूँ इंतज़ार उसके मेसेज का....
बात तो करतीं है मगर बातें वो करतीं नही
तकलीफ होती है खुद को दूर रखने में उससे....
जाने क्यों वो मेरे इस दर्द को समझतीं नहीं।
लगा रहा हूँ आदत खुद को तन्हा रहने की,,
जान गया , दूर तक साथी साथ चलता नही ।
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