मेरी आखियो के ख्याबो को जो तुम देख पाते
मेरी हिम्मत ,और जज्बो के तुम पास आते .
तो तुम समझ जाते मै कितनी दूर से आया हूँ .
जिस जहाँ में ,शहर की आवाज़ तक न आती है
अँधेरे भी अंधेरो से मिलके डर जाती है
दो कदम तुम जो मेरे साथ आते .
इस भीड़ में भी मेरी तन्हाई को समझ पाते
तो तुम समझ जाते मै कितनी दूर से आया हूँ .
मेरी उचाइयो से तुम्हे जलन भी न होती .
मेरी खुशियों में भी तुम मेरे साथ होते .
मेरे कदमो से तुम अगर कदम मिलते
मेरे खुशियों में तुम अगर मुस्कुराते
तो तुम समझ जाते मै कितनी दूर से आया हूँ .
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