Tuesday, December 27, 2011

अधुरा ख्वाब

आज फिर कहीं दूर,सागर किनारे
कुछ अधूरे ख्वाब,और कुछ दोस्त हमारे
कुछ बात करे,तुझे याद करे
कभी खुद पे हंस दे,कभी रब से फ़रियाद करे
एक नशे की बोतल,हाथ में लेके इज़हार करते है
ऐ सनम हम अब भी तुमसे,बेइंतहा प्यार करते है
लड़ते है खुदसे,तनहइयो से बातें करते है
कोई सुन न ले इन बातो को,ये सोच  सोच के डरते है.
ये नशा है की उतर जायेगा,पल भर में
तेरी आँखों का नशा जैसे उतर गया है जिगर में
अब क्या करे,आदत नही तुम बिन जीने की
अब आदत है,गम में जाम पिने की
तेरी तस्वीर अब भी ,इन आँखों की ज्योति है
और तुम बिन आज भी ,हसने में तकलीफ होती है
अब भी जी रहा हूँ,मै तेरी यादो के सहारे.
आज फिर कहीं दूर,सागर किनारे
मै और मेरी तन्हाई फिर तुझे पुकारे .

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